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Introduction of mechanics and laws of motions in hindi

 

इंजीनियरिंग यांत्रिकी, इंजीनियरिंग-विज्ञान का एक प्रकार का यंत्र है जो अनुप्रयोगों इंजीनियरिंग समस्याओं के साथ यांत्रिकी के सिद्धांतों से संबंधित है। दूसरे शब्दों मे पदार्थों के विभिन्न अवस्थाओं पर लगने वाले बलो एवं उनके प्रभावो का अध्ययन mechanics कहलाता है। इसे निम्नलिखित दो मुख्य समूहों में विभाजित किया गया है: 
Youtube पर विडियो देखे -Introduction of mechanics- https://youtu.be/xBvl7rGUMtM


Mechanics of Solid 


 यांत्रिकी के इस शाखा मे ठोसो पर लगने वाले बलो एवं उनके प्रभावो का अध्ययन किया जाता है ।  

Mechanics of Liquid & Gas

यान्त्रिकी के इस शाखा के अन्तर्गत गैसोो तथा liquid के उपर लगने वाले बलो एवं उनके परभावो का अध्ययन किया जाता है।

Mechanics मे और अधिक जानकारी और बलो के प्रभावो के अध्ययन से पहले हमे कुछ विशेष बिन्दुओं पर विचार करना होगा। जो निम्नलिखित है-

Rigid Bod (दृढ पिण्ड)  

दृढ पिण्ड वह पिण्ड है जिस पर कोई भी बल लगाने पर उस के आकार एवं आकृति मे कोई परिवर्तन नहीं होता है।
          वास्तव मे कोई भी पिण्ड पूर्णतया। दृढ पिण्ड नहीं होता है ।अतः यदि किसी पिण्ड पर कोई बल लगाने पर उसके आकर एवं आकृति मे वास्तविक आकर की तुलना मे शुछ्च्म परिवर्तन होता है तो इसे दृढ पिण्ड मान सकते है। 

विरूपक पिण्ड ( Deformabile Body) 


ऐसे पिण्ड जिन पर बल लगाने पर उनके आकर एवं आकृति मे गुणात्मक परिवर्तन प्रपात होता है, विरूपक पिण्ड कहलाते है।
               

गति के नियम (Law's of motion) 

गति के तीन नियम है जिन्हें जड़त्व के नियम भी कहते है। तिनो नियम से पहले जड़त्व की परिभाषा जान लेते है जो निम्नलिखित है- 

जड़त्व (Inertia) 

जड़त्व किसी पिण्ड का वह गुण है जिनके कारण पिण्ड अपनी अवस्था परिवर्तन का विरोध करता है। उदाहरण के लिये चलती हुई गाड़ी,  रूका हुआ गेंद आदि कि जब अवस्था परिवर्तन की कोशिश की जाती है तो वो उसका विरोध करता है।

गति के तीन नियम निम्नलिखित है-

गति की प्रथम नियम (First Law of motion):-

कोई पिण्ड अपनी विरामावस्था या गति की अवस्था तब तक बनाये रखता है जब तक कि उलषस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाये ।
उदाहरण: - जैसे रखा हुआ टेबल सदेव अपनी स्थान को बनाये रखेगा जब तक कि हम उसे बमषल लगा कर हटा न दे।
चलती हुई गाड़ी हमेशा चलती रहेगी जब तक कोई बाह्य बल (ब्रेक ) न लगाया जाये ।

गति का द्वितीय नियम (Second Laws of motion) 

किसी पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल पिण्ड के संवेग परिवर्तन की दर के समानुपाती होता है।



ma जड़त्व बल को दर्शाता है । थुकि यह आरोपित बल F के विपरीत दिशा मे लगता है अतः विपरीत प्रभावी बल(Reverce effective force) कहलाता है ।

गति का तृतीय नियम ( Third Law's of motion)

प्रत्येक क्रिया के बराबर किन्तु विपरीत दिशा मे उतना ही प्रतिक्रिया बल आरोपित होती है। क्रिया एवं प्रतिक्रिया बल अलग- अलग बस्तुओ पर आरोपित होते है तथा बल का युग्म दो पिण्डो पर एक ही रेखा मे आरोपित होते है।

यह Blog psot आप Study Kye पर पढ रहे थे ।अलग Blog post बल की परिभाषा और और प्रभाव पर आधारित है। विशेष कर यह विषय वस्तु polytechnics or intermediate को ध्यान मे रख कर बनाया गया है।

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